मंगळवार, ३० मार्च, २०२१

🔥व्हयी चेटनी चेटनी🔥

 *[दि.२५ मार्च २००५आपला महाराष्ट्र  मधून प्रकाशित कविता...]*    

     🔥व्हयी चेटनी चेटनी🔥                                                                         

उनी फाल्गुननी पुनी

हिना संगे उनी व्हयी

व्हयी चेटनी चेटनी

         आस आभायले गयी॥धृ॥

राजा वरुण तुले रे

देख बलावस भुई

नित मरस धरती

          तुले दिसस का नही॥१॥

आस मन्हाथिन मोठी

तिन्ही कर आत्ये घाई

देख पिकेसनी व्हस

           बारे दरसाल व्हयी॥२॥

देख धरती बसनी

तुन्हा कडे डोया लायी

जसा जंगलम्हा मोर

            नाच तसा थुई थुई॥३॥

व्हयी साठी करपनी

देखा खापरनी पोयी

व्हयी चेटनी व्हयीम्हा 

         गोडी हिनी बयी गयी॥४॥

     *निसर्गसखी सौ मंगला मधुकर रोकडे*.

*शब्दसृष्टी*, मास्तरवाडी, नेहरु नगर, देवपूर,धुळे.

दूरध्वनी क्र. :-९३७१९०२३०३

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